लेखनी कहानी -18-Mar-2024
शीर्षक - स्वैच्छिक (समाज और हम)
स्वैच्छिक कहानी समाज और हम सच तो यही है कि हम सभी रंगमंच पर किरदार निभाने के साथ-साथ जीवन भर समाज और हम रहते हैं क्योंकि समाज हम सभी लोगों से मिलकर बनता है और हम हैं और बस समाज और हम स्वेच्छा से निर्णय लेकर एक दूसरे का सहयोग करने के लिए बनते है। इस कहानी में सभी पात्र हम और आप हैं। और समाज और हम वह भी हम ही कहलाते हैं।
राम रमन और राजू और तीनों बहुत पक्के दोस्त थे और जीवन में तीनों एक साथ रहने की कस्मे और वादे कर चुके थे। तीनों दोस्तों में तीनों के आर्थिक स्तर अलग-अलग थे फिर भी तीन दोस्त कभी भी एक दूसरे की बुराई बने कुछ नहीं करते थे और समाज और हम सच तो यही है जीवन के साथ-साथ हम अपने स्तर को भी देखते है आधुनिक समय में आज हम सभी समाज और हम जब कभी भी हमारे साथ कोई समस्या है या जीवन का अंत मृत्यु होती है तो हम सभी समाज और हम रहते हैं।
परंतु आप कहानी पढ़ रहे हैं तब आप सोचेंगे राम रमन और राजू इन तीनों को कहानी में जोड़ने की जरूरत क्या थी क्योंकि हम सभी को समाज के साथ समाज के नियमों का भी पालन करना पड़ता है जिससे हमारे सभी परिवारजन और हम स्वयं अपने जीवन को हम और हमारा समाज के साथ-साथ चने की प्रेरणा देते है। आज की समय में हम सभी एक दूसरे को हारने के प्रयास से काम करते हैं और फिर हम सभी लोग या हम हमारा समाज सभी के जीवन में हॉन्ग साथ देने से हम और हमारा समाज बनता है।
राम रमन और राजू भी हम और हमारा समाज के विषय में सोच-सोच कर अपने आप को मन ही मन हम और हमारा समाज के साथ-साथ नियम और हमारी जीवन की दिनचर्या का पालन करना पड़ता है। कहानी के साथ-साथ कहानी में प्रेरणा इस बात की भी होनी चाहिए। आप और हम या हमारा समाज एक दूसरे का सहयोगी होता है परंतु हम सभी किसी के जीवन मृत्यु और खुशी में केवल कुछ समाज के लिए जाकर सो जाती है।
राम रमन और राजू भी कभी-कभी बहुत हम और हमारा समाज के साथ-साथ सोच हैं। जबकि हमारा समाज और हम एक दूसरे के पूरक हैं फिर भी हम सभी एक दूसरे से आर्थिक और सामाजिक संदेश देते देते हैं जिससे हम सभी को हम और हमारा समाज यह हमारा समाज है हम एक दूसरे के प्रति विश्वास और रहन-सहन भी व्यवस्थित होना चाहिए जिससे हम सभी हम और हमारा समाज एक समान व्यवस्था के साथ होता है परंतु फिर भी हम कहीं ना कहीं समझ में रहकर भी एक दूसरे के विरोधी भी हो जाते हैं और जब हम जीवन में किसी परेशानी या खुशी में होती हैं तो हम और हमारा समाज ही सब काम करने का हकदार है।
समाज और हम सभी एक दूसरे के पूरक हैं। और हम जिंदगी में केवल मृत्यु के समय एक दूसरे के लिए कुछ समय शमशान घाट के लिए देते हैं। बस आज की कहानी स्वैच्छिक हम और हमारा समाज या समाज और हम सभी अपने-अपने अपनी जान पहचान के साथ बंधे रहते है जिससे जीवन का सफर यही कहता है। और हम सभी समाज हम के साथ-साथ जीवन में रिश्ते और नाते निभाते रहते हैं।
स्वैच्छिक हमारा समाज और हम या समाज और हम जीवन के सांसारिक मोह माया के साथ अपना जीवन जीते हैं और कभी-कभी समय बलवान होता है और हम केवल किसी आस पड़ोस में जीवन मृत्यु के समय ही दस्तक देते हैं हमारा समाज और हम यही सच और आज निभाते हैं क्योंकि हम सभी को मालूम है समाज और हम सदा सदा के लिए अपने मतलब स्वार्थ के साथ जीवन को हम समझते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Babita patel
30-Mar-2024 09:54 AM
Amazing
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Varsha_Upadhyay
23-Mar-2024 11:01 PM
Nice
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Mohammed urooj khan
22-Mar-2024 12:34 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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